Saturday 31 December 2016

नव वर्ष की मंगलमय शुभकामनाएं














मैंने आज खुदा से एक छोटी सी मांग की है,
आपके लिए आपकी सलामती की एक फरियाद की है,

कोई गम न रहे आपकेे जीवन में,
कोई चिंता न रहे आपके मन में,
हरदिन सुख और समृद्धि आती रहे घर आँगन में,
आपके पूरे परिवार को खुश रखने की बात की है,

मैंने आज खुदा से एक छोटी सी माँग की है,
आपके लिए आपकी सलामती की एक फरियाद की है।


रब करे इतना सादा आपका अंदाज हो,
पूरी दुनिया को बस इसी पर नाज हो,
आपकी सादगी आपका श्रृंगार हो,
आपकी मुस्कान तो एक खिला ताज हो,
हों इस वर्ष पूरे बिना कोई रुकावट,
वर्षों से जो रुके हुए काज हो,
आपके चहरे पर चमके एक नूर हमेशा,
 मैंने तो बस इतनी सी एक मुराद की है।

मैंने आज खुदा से एक छोटी सी माँग की है,
आपके लिए आपकी सलामती की एक फरियाद की है।



आप कामयाब होते रहे जिंदगी के हर मोड़ पर,
आंगे बढ़ते रहे हर एक मुसीबत को तोड़ कर,
आपके जीवन में निसदिन खुशियों की सौगात हो,
आप जो मांगे मिल जाये, हमेशा धन की बरसात हो,
आपकी ख्वाहिश ही तो मेरी चाह है,
                 इसे पूरी होने की मैंने एक "आश" की है,

मैंने आज खुदा से एक छोटी सी माँग की है,
आपके लिए आपकी सलामती की एक फरियाद की है।


आप जिओ हद से ज्यादा, जीवन में न हो कोई बाधा,
न आये कोई भी परेसानी, हर एक रास्ता हो सीधा सादा,
ये नया वर्ष आपके जीवन में लाये खुशहाली इतनी ज्यादा,
इस पावन नववर्ष की खुशी पर बस इतनी सी गुजारिश की है,

मैंने आज खुदा से एक छोटी सी मांग की है,
आपके लिए आपकी सलामती की एक फरियाद की है।


                                                             -(लोधी संदीप  )

                              धन्यवाद|


Friday 26 August 2016

ये जिंदगी अनमोल है तू जिंदगी से प्यार कर









न उम्मीदों को मार तू यूँ बाधाओं से हार कर,
खामखां रो रो कर तू यूँ आँख न बेकार कर,
है हार ही चुनौती तेरी इस हार को स्वीकार कर,
ये हार भी हारेगी तुझसे तू थोड़ा इन्तजार कर,
कमियों को पहिचान और उनमें तू सुधार कर
हो गयीं जो एक बार थीं उनको न बार-बार कर |


इस जिंदगी में शंघर्ष हैं, शंघर्ष ही शंघर्ष हैं,
भिड़ने को शंघर्षों से, तू खुद को तैयार कर,
राहें भरीं हैं शूल से फिर भी तू उनको पार कर,
सुख मिले या कष्ट तू कैसे भी हो गुजारा कर,
हर मंजिल मिलेगी तुझे बस मौके की तलाश कर,
ये जिंदगी अनमोल है तू जिंदगी से प्यार कर |


गर सीखना कुछ है तुझे, तो सीखले उस फूल से,
खिलना नही वो छोड़ता, मुरझाना है उसे ये जानकर,
आएगा माली एक दिन ले जायेगा उसको तोड़कर,
देगा गली में फेंक उसकी  पत्ती-पत्ती नोंचकर,
तू भी एक फूल बन, कर्त्तव्य को खुशबू बना,
इंसान होकर सब के संग इंसानों सा व्यवहार कर ||

                           धन्यवाद।

                                       -संदीप कुमार


Monday 15 August 2016

भारत के लिए वरदान हो तुम।

  



      कुल्हाड़ी में लकड़ी का हत्था न होता
     तो उस पेड़ के कटने का रस्ता न होता,
     न होते कुर्बान अगर वो वीर जवान
     तो आज ये समाज इस तरह हँसता न होता।






"भारत के लिए वरदान हो तुम"

हे जवान!           हे किसान ! 
इस देश के लिए वरदान हो तुम,
जो तेरी-मेरी और हम सबकी है
उस भारत-माता की शान हो तुम,

हो रक्षक तुम इस मातृभूमि के
इसका गौरव और सम्मान हो तुम,
जो मिट न सके मिटाने से किसी के
मेरे देश की वो पहिचान हो तुम,

अपने देश की सच्ची देशभक्ति में
खुद को करते कुर्बान हो तुम,
तुम पर निर्भर है जीवन हम सबका
इंसानो के रूप में तो भगवान् हो तुम।

हे जवान!           हे किसान !
इस देश के लिए वरदान हो तुम,
जो तेरी-मेरी और हम सबकी है
उस भारत-माता की शान हो तुम,

हे भारत के वीर जवानों!

वो तुम ही थे जिनके कारण
इस देश को आजादी का जाम मिला,
वर्षों से थीं जो दबी हुईं
उन खुशियों का पैगाम मिला,

विधान मिला परिधान मिला
और एक नया संविधान मिला,
हर देश की तरह मेरे देश को भी
दुनियाँ में उचित स्थान मिला,

तुम वीरों के बलिदानों से ही
हर घर में खुशी का दीप जला,
गुलामी का अँधेरा खत्म होकर
एक स्वतंत्र नया सूरज निकला,

बिना धूप, ठंड की परवाह करके
सरहद पर पहरा देते हो तुम,
मातृभूमि की तरफ चलने वाली
हर उस गोली को सीने में लेते हो तुम,

तिरंगे के कफन में दफन होकर
भारत माँ की गोद में सोते हो तुम,
करता हूँ नमन उन माता-पिता को
जिनकी गौरवशाली संतान हो तुम,

हे जवान!          हे किसान !
इस देश के लिए वरदान हो तुम,
जो तेरी-मेरी और हम सबकी है
उस भारत माता की शान हो तुम।


हे किसान!   भाई धन्य हो तुम,


वो तुम ही हो जिनके कारण
मेरा भारत कृषि प्रधान हुआ..,
तेरे ही कठिन परिश्रम से......
यहाँ गेंहू, दाल और धान हुआ,

लाखों कष्टों को सह-सह कर
अमृत पैदा करते हो तुम.......,
हर प्राणी को भोजन देकर.....
खुद भूखे रहकर मरते हो तूम,

नही बिल्कुल भी आराम तुम्हें
हर सुविधा से अंजान हो तुम,
देश ऋणी है तुम्हारे कष्टों का
हर इन्सान में बसती जान हो तुम,

हे जवान!           हे किसान !
इस देश के लिए वरदान हो तुम,
जो तेरी-मेरी और हम सबकी है
उस भारत माता की शान हो तुम।

        "जय हिंद    जय भारत"
         "भारत माता की जय" 
                 
                धन्यवाद्।
                                          - संदीप कुमार लोधी



Friday 15 July 2016

मेरी जिन्दगी में तेरा यूँ अचानक सा आना


मेरी जिंदगी में तेरा यूँ अचानक सा आना,
बिना किसी वजह इतनी खुशियाँ सजाना,
हर दौलत मिल गयी तेरी चाहत से मुझको,
कहूँ रहमत इसे या  किस्मतों का खजाना,

खिल जाता है मेरा चेहरा याद करने से तुझको,
मिल जाती है दिल में राहत तेरे आने से मुझको,
उम्मीद करता हूँ मेरी परी की तूं रहेगी सदा मेरी,
यूँ मुझे सपने दिखाकर कहीं दूर न चले जाना,

अगर रूठना हो तुमको तो खुशी से रूठ जाना,
मैं जानता हूँ मेरी परी, की तुम्हे कैसे है मनाना,
हर वादा मुझे याद है, याद है हर वो अफसाना,
आता है हर वो तरीका,की उन्हें कैसे है निभाना,

मेरी दौलत, मेरी इज्जत, मेरी पूजा तुम ही हो,
ये सादगी ही तेरी है,जिसका हो गया मैं दीवाना,
हर खुशी है तूँ मेरी और हर खुशी का बहाना,
तुमसे सीखा है परी मैंने दुखों में भी मुस्कराना,

है विनती मेरी एक तुमसे, साफ मन और सच्चे दिल से,
कभी संशय न करना तुम, इस रिश्ते और मेरी चाहत पर,
मेरे मन की गहराइयों में तुम इस तरह समा जाना,
कुछ भी सोचूँ अगर मैं, तो बस तेरा ही हो नजराना।

                           धन्यवाद।

                         संदीप कुमार 

Saturday 23 April 2016

Farewell poem ( विदाई कविता)





वो MSE में पहला दिन पुराने यारों के बिन,
वो  मासूम से चेहरे और सहमे हुए मन,
नये शहर नये मौसम और नया वातावरण,
नयी शुबह खिल रही थी, लिए उम्मीदों की किरण,
इस तरह हुआ होगा आपका शुभ आवागमन,


मित्रो! हम जब भी कहीं आते है, काफी अरमान साथ लाते है,
सबकुछ नया होते हुए भी उस वातावरण मे ढल जाते है,
होते हैं सब अंजान मगर, कुछ ही पलों मे एक परिवार बन जाते है,
चाहे उत्सव हो या महोत्सव कुछ भी कहो बड़े हर्ष से मानते है,


दोस्तो इन हसीन पलों को तुम संजोते जाना,
बड़े अनमोल हैं ये लम्हे इन्हे तुम यूँ ना गवाना,
जो बीत रहे है पल उन्हे तुम याद करोगे कल,
इन बचे हुए लम्हों को कैसे भी हो कैद करते जाना,

Classes और canteen वाली वो कहानियां होगीं खत्म अब,
छूट रहा अब साथ सबका, हो रहे हैं सब जुदा,
वो COE building की सीढियां, जमती जहाँ थी महफिलें,
सुन्दर सी वो जगह भी अब, सूनी-सूनी है लग रही,
आगयी वो घड़ी है जिसमे, 
विदाई करनी पड़ रही, विदाई करनी पड़ रही,


Semesters के exam sessional सब कितने जल्दी हो गये,
एक पल मे अरसा गुजरने का वो दौर भी अब थम रहा,
लाख कोशिशें करने पर भी, ये वक्त रोके न रुक रहा,
वो तमाम मुलाकातें, खुशियों से भरी वो बातें,
दो वर्षों की ये जिंदगी एक दास्तां में बदल रही,
           आ गयी वो घड़ी है जिसमें,
 विदाई करनी पड़ रही, विदाई करनी पड़ रही,


मेरे प्यारे सीनियरस!
ठीक से देखलो, कही कुछ छूटा न हो,
कहीं तुम्हारी वजह से कोई दिल रूठा न हो,
भूलकर सब रंज से गले मिल लो, फिरसे मिलने का वादा करलो,
क्योंकि जा रहा है वक्त जो, दोबारा आने से रहा,
          दिल थाम आँखे पोछकर, 
अलविदा कहना पड़ रहा, अलविदा कहना पड़ रहा,


आपके उज्जवल भविष्य  के लिए चार पंक्तिया-

हर साँझ में दीपक की तरह जलते रहिएगा,
हर शुबह में  सूरज की तरह निकलते रहिएगा,
इस जिंदगी का हर रास्ता बाधाओं से परिपूर्ण है,
थोड़ा जटिल है मगर गिरते सम्भलते चलते जरूर  रहिएगा।
                         धनवाद। 


                                                  संदीप कुमार

Friday 1 April 2016

मेरे प्यार की हँसी यादें



हँसी यादों में तेरी खो जाने को दिल करता है,
इश्क में तेरे हद से गुजर जाने को दिल करता है,
जो भी सरहदें हैं मेरे और तेरे बीच, 
पार उन्हें आज कर जाने को दिल करता है,
आने वाले तेरे उन खयालों को हर पल,
इन होंठों से आज गुनगुनाने को दिल करता है,

हँसी यादों में तेरी खो जाने को दिल करता है,
इश्क में तेरे हद से गुजर जाने को दिल करता है,


है हमदर्द तूं मेरा हमराह है,
खुद से ज्यादा मुझे तुझ पर ऐतबार है,
समझाऊं कैसे मैं इस दिले नादान को,
तुमसे मिलने को हरपल ये बेकरार है,
जितनी बेताबी है तेरी बाँहों में समा जाने की,
उतनी हसरत से तुझे पा जाने को दिल करता है,

हँसी यादों में तेरी खो जाने को दिल करता है,
इश्क में तेरे हद से गुजर जाने को दिल करता है,


मोहब्बत एक सफर है उन ऐहसाशों का,
बना होता है पथ जिसमें विश्वाशों का,
कोई मंजिल नही जिसकी ये वो राह है,
कुछ भी हाशिल नही जिसमें सब गुमराह है,
मिले हैं जो गम इस जमाने से मुझे अब तक,
तुझको पा कर उन्हें भूल जाने को दिल करता है,

हँसी यादों में तेरी खो जाने को दिल करता है,
इश्क में तेरे हद से गुजर जाने को दिल करता है,



न तुम मुझसे दूर जाना, न मुझे तुमसे है दूर जाना,
अपने हिस्से की चाहत को है बखूबी निभाना,
एक दिल से गुजारिश है ओ मेरे जाने जाना,
खुदा समझा है मैंने तुझको अपना लेना तूं मुझको,
तुझको पाने की काशिश में मैंने छोड़ा है ये जमाना,
बस गयी हो इस कदर दिल की धड़कनों में तुम मेरी,
की जिनको हर पल अब सुनते रहने को दिल करता है,

हँसी यादों में तेरी खो जाने को दिल करता है,
इश्क में तेरे हद से गुजर जाने को दिल करता है।
                                                            -  संदीप कुमार लोधी

                          धन्यवाद|











Monday 21 March 2016

बड़े रंगीन हो जाते हैं, ये होली वाले दिन

                 






                     होली गीत
बड़े रंगीन हो जाते हैं , ये होली वाले दिन
जब खेलते हैं होली श्याम गोपियों के संग,

कितने शालीेन हो जाते हैं, ये फाल्गुन वाले दिन,
जब खेलते हैं होली कान्हा राधिका के संग,

बड़े रंगीन हो जाते हैं, ये होली वाले दिन,
जब खेलते हैं होली श्याम गोपियों के संग,

कितना मदहोश हो जाता हैं, गोपियों का तन- बदन,
जब गूँजती है ब्रज में मीठी बांसुरी की धुन,

कितने  बेजोड़ हो जाते हैं, ये रंगो वाले दिन,
हो जाता है रंगीला पानी और ये रंगीली पवन,

बड़े रंगीन हो जाते हैं, ये होली वाले दिन,
जब खेलते हैं होली कान्हा  राधिका के संग,

धरती ये ऐसे सजी है, कोई नई नवेली दुल्हन,
हर फिजायें रंग भरीं हैं, रंगो से है भरा चमन,

इन रंगभरी खुशबुओं से, महक उठता है ये गुलसन,
रंगो से भरा है ये आँगन ,हो रहे सब मस्त मगन,
रंग गया है हरकोई जैसे, मिल गए हो रंगो में अंग,

बड़े शालीेन हो जाते हैं, ये रंगो के मौसम,
जब खेलते हैं होली, प्रिय प्रेयसि के संग,

बड़े रंगीन हो जाते हैं, ये होली वाले दिन,
जब खेलते हैं होली, गिरधर गोरियों के संग,

कितने  शालीेन हो जाते हैं, ये फाल्गुन वाले दिन,
जब खेलते हैं होली, कान्हा राधिका के संग,

बड़े रंगीन हो जाते हैं, ये होली वाले दिन,
कितने शालीेन हो जाते हैं, ये फाल्गुन वाले दिन,
जब खेलते हैं होली, प्रिय प्रेयसि के संग,

  ~होली की हार्दिक शुभकामनाएं ~👏
                                         ~(संदीप कुमार)

                 धन्यवाद।

Saturday 19 March 2016

कुछ तो अभी बाकी है बंधु ,बस इतना ही नहीं काफी है



कुछ तो अभी बाकी है बंधु ,बस इतना ही  नहीं काफी है,
बस इतना ही नही काफी है बंधु ,कुछ तो है जो बाकी है ।

जो भी सपने तूने संजोये हैं, आशा के बीज जो बोये हैं,
उन सपनो को जीवंत करना शायद अभी भी बाकी है,
कुछ तो अभी बाकी है बंधु, बस इतना ही  नही काफी है।

हर कदम पर यहाँ कठिनाई है, इस  जीवन की यही एक  सच्चाई है ,
हर शाम यहाँ एक निराशा है, हर सुबह यहाँ एक आशा है ,
ये जीवन भरा है संघर्षों से, इन संघर्षों से भिड़ना बाकी है ,
कुछ तो अभी बाकी है बंधु, बस इतना ही नही काफी है ।



न कर तूं यूं  मन को इतना चिंतित, इन छोटी छोटी बातों से ,
बस कोशिश कर नहीं जाने दे, हर एक अवसर  अपने हाथों से,
हर लम्हा है अनमोल यहाँ, इन लम्हों को जीना बाकी है ,
कुछ तो अभी बाकी है बंधु, बस इतना ही नही काफी है।



न हो विचलित  बस चलते चल तू शूल भरी इन राहों में ,
तू सब्र कर तुझे ले लेंगी तेरी मंजिल अपनी बाहों में ,
उस मंजिल को पाने में बस थोड़ा सा ही चलना बाकी है,
कुछ तो अभी बाकी है प्यारे, बस इतना ही  नही काफी है।



अपनों से दूर हो कर भी  क्या कुछ  नही हमने  खोया है ,
माँ बाबा की प्यारी यादों में हर रोज ये दिल भी  रोया है,
उम्मीदें है उन्हें  हमसे कितनी,ये सोच रातों में न सोया है,
इन उम्मीदों को पूरा करने की, वो ख्वाहिश अभी भी बाकी है।


कुछ तो अभी बाकी है यारो,बस इतना ही नही काफी है,
बस इतना ही नही काफी है मित्रो, कुछ तो है जो बाकी है।

                                                                    -(संदीप  कुमार )

                                  धन्यवाद|

Thursday 17 March 2016

ऐ जिन्दगी! तेरा राज क्या है







ऐ जिन्दगी! तेरा राज क्या है,
बस एक बार वो तू बता दे मुझे,
यूँ खामखा मुझसे रूठी क्यों है, 
कोई तो जीने की वजह दे मुझे|


न जाने कितनी राहें तेरी हैं,
जो मेरी है डगर वो दिखा दे मुझे,
न जाने कितनी मंजिलें तेरी है,
जो है ठिकाना मेरा उसका पता दे मुझे|


न जाने कितनी पहेलियाँ तेरी है,
उनको बूझने का तू तजुर्बा दे मुझे,
न जाने कितनी चुनौतियाँ तेरी है,
उनसे जूझने का तू हौसला दे मुझे|

ऐ जिन्दगी! तेरा राज क्या है,
बस एक बार वो तू बता दे मुझे,
यूँ खामखा मुझसे रूठी क्यों है,
कोई तो जीने की वजह दे मुझे|



अगर मैं कभी हँसना जो चाहूँ,
तो जोर जोर से तू हँसा दे मुझे,
अगर किसी गम में रोना मैं चाहूँ,
तो फूट- फूट कर के रुला दे मुझे|

वैसे तो सभी से मैं अंजान हूँ, 
जिन्दा हो करके भी मैं तो बेजान हूँ,
नही चाहिए मुझको दिखावा किसी का,
जो सचमुच मेरा है, उससे मिला दे मुझे|


ऐ जिन्दगी! तेरा राज क्या है,
बस एक बार वो तू बता दे मुझे,
यूँ खामखा मुझसे रूठी क्यों है,
कोई तो जीने की वजह दे मुझे|


अगर मुझको कोई दगा देना चाहे,
मेरे अरमानों से खेलने लगे तो, 
तू चुपके से आ कर जता दे मुझे|

अगर मैं किसी से रूठने लगूँ तो,
उसके दिए जख्मों से टूटने लगूँ तो,
तू कैसे भी सम्भलना सिखा दे मुझे|

मै एक इंसान हूँ दिल से नादान हूँ,
ग़लती से किसी का भी दिल मैं दुखाऊँ,
जो भी चाहे तू खुल के सजा दे मुझे|



ऐ जिन्दगी! तेरा राज क्या है,
बस एक बार वो तू बता दे मुझे,
यूँ खामखा मुझसे रूठी क्यों है,
कोई तो जीने की वजह दे मुझे|


  ऐ जिन्दगी!
लगता है तू सच में एक पहेली सी है,
भीड़ होते हुये भी कितनी अकेली सी है,
दुःख-सुख, खुशी और गम तेरे मेहमान है,
सब पता है मुझको फिर भी दिल परेशान है,

जिन गुत्थियों में अब तक उलझा हुआ हूँ मैं,
ऐसी उलझनों से तू सुलझा दे मुझे,
मैं कर सकूँ हासिल हर एक मुकाम को,
सम्भव हो तो इतना काबिल तू बना दे मुझे|



ऐ जिन्दगी! तेरा राज क्या है,
बस एक बार वो तू बता दे मुझे,
यूँ खामखा मुझसे रूठी क्यों है, 
कोई तो जीने की वजह दे मुझे|

                                      ~(संदीप कुमार)


                                            धन्यवाद |


Wednesday 24 February 2016

खुद ही लूँगा ढूँढ मैं वो, जो दवा दर्दे दिल की है,

खुद ही लूँगा ढूँढ मैं वो, जो दवा दर्दे दिल की है,
समझ आ गयी है मुझको, जो वजह मेरे गम की है,
पता कर लिया है मैंने, क्यों आँख आसू से छलकी है,
प्यार की जो है तराजू, वो एक तरफ से हलकी है,
टूट जाता है गर भरोसा किसी का,
                एक आग दिल में  जलती है,
नही रहता तनिक भी करार दिल में,
                बस नफरत ही नफरत पलती है।



रोशनी कहता रहा मैं जिसको,वो तो इतनी बेनूर थी,
खुद से ज्यादा चाहा है जिसको, शायद वो एक मेरी भूल थी,
पाने की करता रहा मन्नतें जिसको, शायद वो सब फिजूल थीं,
ऐसी क्या तमन्ना थी तेरी, जो पूरी मैं न कर पाया,
बोल के तो देख लेते, तेरी हर ख्वाहिश मुझे कुबूल थी।


यूँ मुझे गुमराह करके, तूने क्या हाशिल किया,
जो भी कुछ था पास तेरे, वो भी तेरा न हुआ,
कितनी उम्मीदें मेरी थी, हसरतें भी जितनी थी,
तोड़ इनको तूने मुझको, कैसा ये शिला दिया,
मैंने रब को तेरी खुशी की हर पल भेजीं है दुआ,
हे रब तूनेे बदले में इसके, मेरी खुशी को ही दबा दिया ।


कोई सतरंज का खेल नही, प्यार तो दो दिलों का मेल है,
भरोसा ही इसकी ताकत है, जो होता बहुत अनमोल है,
इतना आसान तो है नही, इश्क में  यकीन को तोड़ना,
क्योंकि सम्भव होता नही, फिर टूटे यकीन को जोड़ना,
एक नही दो-दो होते है, लोगों के चहरे यहाँ,
सोच कर चलना मेरे भाई, वरना पड़ सकती है दुनियां छोड़ना।
       
                                                                               ~(संदीप कुमार)

                                      धन्यवाद।