Thursday 17 March 2016

ऐ जिन्दगी! तेरा राज क्या है







ऐ जिन्दगी! तेरा राज क्या है,
बस एक बार वो तू बता दे मुझे,
यूँ खामखा मुझसे रूठी क्यों है, 
कोई तो जीने की वजह दे मुझे|


न जाने कितनी राहें तेरी हैं,
जो मेरी है डगर वो दिखा दे मुझे,
न जाने कितनी मंजिलें तेरी है,
जो है ठिकाना मेरा उसका पता दे मुझे|


न जाने कितनी पहेलियाँ तेरी है,
उनको बूझने का तू तजुर्बा दे मुझे,
न जाने कितनी चुनौतियाँ तेरी है,
उनसे जूझने का तू हौसला दे मुझे|

ऐ जिन्दगी! तेरा राज क्या है,
बस एक बार वो तू बता दे मुझे,
यूँ खामखा मुझसे रूठी क्यों है,
कोई तो जीने की वजह दे मुझे|



अगर मैं कभी हँसना जो चाहूँ,
तो जोर जोर से तू हँसा दे मुझे,
अगर किसी गम में रोना मैं चाहूँ,
तो फूट- फूट कर के रुला दे मुझे|

वैसे तो सभी से मैं अंजान हूँ, 
जिन्दा हो करके भी मैं तो बेजान हूँ,
नही चाहिए मुझको दिखावा किसी का,
जो सचमुच मेरा है, उससे मिला दे मुझे|


ऐ जिन्दगी! तेरा राज क्या है,
बस एक बार वो तू बता दे मुझे,
यूँ खामखा मुझसे रूठी क्यों है,
कोई तो जीने की वजह दे मुझे|


अगर मुझको कोई दगा देना चाहे,
मेरे अरमानों से खेलने लगे तो, 
तू चुपके से आ कर जता दे मुझे|

अगर मैं किसी से रूठने लगूँ तो,
उसके दिए जख्मों से टूटने लगूँ तो,
तू कैसे भी सम्भलना सिखा दे मुझे|

मै एक इंसान हूँ दिल से नादान हूँ,
ग़लती से किसी का भी दिल मैं दुखाऊँ,
जो भी चाहे तू खुल के सजा दे मुझे|



ऐ जिन्दगी! तेरा राज क्या है,
बस एक बार वो तू बता दे मुझे,
यूँ खामखा मुझसे रूठी क्यों है,
कोई तो जीने की वजह दे मुझे|


  ऐ जिन्दगी!
लगता है तू सच में एक पहेली सी है,
भीड़ होते हुये भी कितनी अकेली सी है,
दुःख-सुख, खुशी और गम तेरे मेहमान है,
सब पता है मुझको फिर भी दिल परेशान है,

जिन गुत्थियों में अब तक उलझा हुआ हूँ मैं,
ऐसी उलझनों से तू सुलझा दे मुझे,
मैं कर सकूँ हासिल हर एक मुकाम को,
सम्भव हो तो इतना काबिल तू बना दे मुझे|



ऐ जिन्दगी! तेरा राज क्या है,
बस एक बार वो तू बता दे मुझे,
यूँ खामखा मुझसे रूठी क्यों है, 
कोई तो जीने की वजह दे मुझे|

                                      ~(संदीप कुमार)


                                            धन्यवाद |


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