Friday 26 August 2016

ये जिंदगी अनमोल है तू जिंदगी से प्यार कर









न उम्मीदों को मार तू यूँ बाधाओं से हार कर,
खामखां रो रो कर तू यूँ आँख न बेकार कर,
है हार ही चुनौती तेरी इस हार को स्वीकार कर,
ये हार भी हारेगी तुझसे तू थोड़ा इन्तजार कर,
कमियों को पहिचान और उनमें तू सुधार कर
हो गयीं जो एक बार थीं उनको न बार-बार कर |


इस जिंदगी में शंघर्ष हैं, शंघर्ष ही शंघर्ष हैं,
भिड़ने को शंघर्षों से, तू खुद को तैयार कर,
राहें भरीं हैं शूल से फिर भी तू उनको पार कर,
सुख मिले या कष्ट तू कैसे भी हो गुजारा कर,
हर मंजिल मिलेगी तुझे बस मौके की तलाश कर,
ये जिंदगी अनमोल है तू जिंदगी से प्यार कर |


गर सीखना कुछ है तुझे, तो सीखले उस फूल से,
खिलना नही वो छोड़ता, मुरझाना है उसे ये जानकर,
आएगा माली एक दिन ले जायेगा उसको तोड़कर,
देगा गली में फेंक उसकी  पत्ती-पत्ती नोंचकर,
तू भी एक फूल बन, कर्त्तव्य को खुशबू बना,
इंसान होकर सब के संग इंसानों सा व्यवहार कर ||

                           धन्यवाद।

                                       -संदीप कुमार


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