वो MSE में पहला दिन पुराने यारों के बिन,
वो मासूम से चेहरे और सहमे हुए मन,
नये शहर नये मौसम और नया वातावरण,
नयी शुबह खिल रही थी, लिए उम्मीदों की किरण,
इस तरह हुआ होगा आपका शुभ आवागमन,
मित्रो! हम जब भी कहीं आते है, काफी अरमान साथ लाते है,
सबकुछ नया होते हुए भी उस वातावरण मे ढल जाते है,
होते हैं सब अंजान मगर, कुछ ही पलों मे एक परिवार बन जाते है,
चाहे उत्सव हो या महोत्सव कुछ भी कहो बड़े हर्ष से मानते है,
दोस्तो इन हसीन पलों को तुम संजोते जाना,
बड़े अनमोल हैं ये लम्हे इन्हे तुम यूँ ना गवाना,
जो बीत रहे है पल उन्हे तुम याद करोगे कल,
इन बचे हुए लम्हों को कैसे भी हो कैद करते जाना,
बड़े अनमोल हैं ये लम्हे इन्हे तुम यूँ ना गवाना,
जो बीत रहे है पल उन्हे तुम याद करोगे कल,
इन बचे हुए लम्हों को कैसे भी हो कैद करते जाना,
Classes और canteen वाली वो कहानियां होगीं खत्म अब,
छूट रहा अब साथ सबका, हो रहे हैं सब जुदा,
वो COE building की सीढियां, जमती जहाँ थी महफिलें,
सुन्दर सी वो जगह भी अब, सूनी-सूनी है लग रही,
छूट रहा अब साथ सबका, हो रहे हैं सब जुदा,
वो COE building की सीढियां, जमती जहाँ थी महफिलें,
सुन्दर सी वो जगह भी अब, सूनी-सूनी है लग रही,
आगयी वो घड़ी है जिसमे,
विदाई करनी पड़ रही, विदाई करनी पड़ रही,
Semesters के exam sessional सब कितने जल्दी हो गये,
एक पल मे अरसा गुजरने का वो दौ र भी अब थम रहा,
लाख कोशिशें करने पर भी, ये वक्त रोके न रुक रहा,
वो तमाम मुलाकातें, खुशियों से भरी वो बातें,
दो वर्षों की ये जिंदगी एक दास्तां में बदल रही,
आ गयी वो घड़ी है जिसमें,
एक पल मे अरसा गुजरने का वो दौ
लाख कोशिशें करने पर भी, ये वक्त रोके न रुक रहा,
वो तमाम मुलाकातें, खुशियों से भरी वो बातें,
दो वर्षों की ये जिंदगी एक दास्तां में बदल रही,
आ गयी वो घड़ी है जिसमें,
विदाई करनी पड़ रही, विदाई करनी पड़ रही,
मेरे प्यारे सीनियरस!
ठीक से देखलो, कही कुछ छूटा न हो,
कहीं तुम्हारी वजह से कोई दिल रूठा न हो,
भूलकर सब रंज से गले मिल लो, फिरसे मिलने का वादा करलो,
क्योंकि जा रहा है वक्त जो, दोबारा आने से रहा,
दिल थाम आँखे पोछकर,
ठीक से देखलो, कही कुछ छूटा न हो,
कहीं तुम्हारी वजह से कोई दिल रूठा न हो,
भूलकर सब रंज से गले मिल लो, फिरसे मिलने का वादा करलो,
क्योंकि जा रहा है वक्त जो, दोबारा आने से रहा,
दिल थाम आँखे पोछकर,
अलविदा कहना पड़ रहा, अलविदा कहना पड़ रहा,
आपके उज्जवल भविष्य के लिए चार पंक्तिया-
हर साँझ में दीपक की तरह जलते रहिएगा,
हर शुबह में सूरज की तरह निकलते रहिएगा,
इस जिंदगी का हर रास्ता बाधाओं से परिपूर्ण है,
थोड़ा जटिल है मगर गिरते सम्भलते चलते जरूर रहिएगा।
धनवाद।
संदीप कुमार