बिना किसी वजह इतनी खुशियाँ सजाना,
हर दौलत मिल गयी तेरी चाहत से मुझको,
कहूँ रहमत इसे या किस्मतों का खजाना,
खिल जाता है मेरा चेहरा याद करने से तुझको,
मिल जाती है दिल में राहत तेरे आने से मुझको,
उम्मीद करता हूँ मेरी परी की तूं रहेगी सदा मेरी,
यूँ मुझे सपने दिखाकर कहीं दूर न चले जाना,
अगर रूठना हो तुमको तो खुशी से रूठ जाना,
मैं जानता हूँ मेरी परी, की तुम्हे कैसे है मनाना,
हर वादा मुझे याद है, याद है हर वो अफसाना,
आता है हर वो तरीका,की उन्हें कैसे है निभाना,
मेरी दौलत, मेरी इज्जत, मेरी पूजा तुम ही हो,
ये सादगी ही तेरी है,जिसका हो गया मैं दीवाना,
हर खुशी है तूँ मेरी और हर खुशी का बहाना,
तुमसे सीखा है परी मैंने दुखों में भी मुस्कराना,
है विनती मेरी एक तुमसे, साफ मन और सच्चे दिल से,
कभी संशय न करना तुम, इस रिश्ते और मेरी चाहत पर,
मेरे मन की गहराइयों में तुम इस तरह समा जाना,
कुछ भी सोचूँ अगर मैं, तो बस तेरा ही हो नजराना।
धन्यवाद।
संदीप कुमार