कुछ तो अभी बाकी है बंधु ,बस इतना ही नहीं काफी है,
बस इतना ही नही काफी है बंधु ,कुछ तो है जो बाकी है ।
जो भी सपने तूने संजोये हैं, आशा के बीज जो बोये हैं,
उन सपनो को जीवंत करना शायद अभी भी बाकी है,
कुछ तो अभी बाकी है बंधु, बस इतना ही नही काफी है।
हर कदम पर यहाँ कठिनाई है, इस जीवन की यही एक सच्चाई है ,
हर शाम यहाँ एक निराशा है, हर सुबह यहाँ एक आशा है ,
ये जीवन भरा है संघर्षों से, इन संघर्षों से भिड़ना बाकी है ,
कुछ तो अभी बाकी है बंधु, बस इतना ही नही काफी है ।
न कर तूं यूं मन को इतना चिंतित, इन छोटी छोटी बातों से ,
बस कोशिश कर नहीं जाने दे, हर एक अवसर अपने हाथों से,
हर लम्हा है अनमोल यहाँ, इन लम्हों को जीना बाकी है ,
कुछ तो अभी बाकी है बंधु, बस इतना ही नही काफी है।
न हो विचलित बस चलते चल तू शूल भरी इन राहों में ,
तू सब्र कर तुझे ले लेंगी तेरी मंजिल अपनी बाहों में ,
उस मंजिल को पाने में बस थोड़ा सा ही चलना बाकी है,
कुछ तो अभी बाकी है प्यारे, बस इतना ही नही काफी है।
अपनों से दूर हो कर भी क्या कुछ नही हमने खोया है ,
माँ बाबा की प्यारी यादों में हर रोज ये दिल भी रोया है,
उम्मीदें है उन्हें हमसे कितनी,ये सोच रातों में न सोया है,
इन उम्मीदों को पूरा करने की, वो ख्वाहिश अभी भी बाकी है।
कुछ तो अभी बाकी है यारो,बस इतना ही नही काफी है,
बस इतना ही नही काफी है मित्रो, कुछ तो है जो बाकी है।
-(संदीप कुमार )
धन्यवाद|
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