खुद ही लूँगा ढूँढ मैं वो, जो दवा दर्दे दिल की है,
समझ आ गयी है मुझको, जो वजह मेरे गम की है,
पता कर लिया है मैंने, क्यों आँख आसू से छलकी है,
प्यार की जो है तराजू, वो एक तरफ से हलकी है,
टूट जाता है गर भरोसा किसी का,
एक आग दिल में जलती है,
नही रहता तनिक भी करार दिल में,
बस नफरत ही नफरत पलती है।
रोशनी कहता रहा मैं जिसको,वो तो इतनी बेनूर थी,
खुद से ज्यादा चाहा है जिसको, शायद वो एक मेरी भूल थी,
पाने की करता रहा मन्नतें जिसको, शायद वो सब फिजूल थीं,
ऐसी क्या तमन्ना थी तेरी, जो पूरी मैं न कर पाया,
बोल के तो देख लेते, तेरी हर ख्वाहिश मुझे कुबूल थी।
यूँ मुझे गुमराह करके, तूने क्या हाशिल किया,
जो भी कुछ था पास तेरे, वो भी तेरा न हुआ,
कितनी उम्मीदें मेरी थी, हसरतें भी जितनी थी,
तोड़ इनको तूने मुझको, कैसा ये शिला दिया,
मैंने रब को तेरी खुशी की हर पल भेजीं है दुआ,
हे रब तूनेे बदले में इसके, मेरी खुशी को ही दबा दिया ।
कोई सतरंज का खेल नही, प्यार तो दो दिलों का मेल है,
भरोसा ही इसकी ताकत है, जो होता बहुत अनमोल है,
इतना आसान तो है नही, इश्क में यकीन को तोड़ना,
क्योंकि सम्भव होता नही, फिर टूटे यकीन को जोड़ना,
एक नही दो-दो होते है, लोगों के चहरे यहाँ,
सोच कर चलना मेरे भाई, वरना पड़ सकती है दुनियां छोड़ना।
~(संदीप कुमार)
धन्यवाद।
पता कर लिया है मैंने, क्यों आँख आसू से छलकी है,
प्यार की जो है तराजू, वो एक तरफ से हलकी है,
टूट जाता है गर भरोसा किसी का,
एक आग दिल में जलती है,
नही रहता तनिक भी करार दिल में,
बस नफरत ही नफरत पलती है।
रोशनी कहता रहा मैं जिसको,वो तो इतनी बेनूर थी,
खुद से ज्यादा चाहा है जिसको, शायद वो एक मेरी भूल थी,
पाने की करता रहा मन्नतें जिसको, शायद वो सब फिजूल थीं,
ऐसी क्या तमन्ना थी तेरी, जो पूरी मैं न कर पाया,
बोल के तो देख लेते, तेरी हर ख्वाहिश मुझे कुबूल थी।
यूँ मुझे गुमराह करके, तूने क्या हाशिल किया,
जो भी कुछ था पास तेरे, वो भी तेरा न हुआ,
कितनी उम्मीदें मेरी थी, हसरतें भी जितनी थी,
तोड़ इनको तूने मुझको, कैसा ये शिला दिया,
मैंने रब को तेरी खुशी की हर पल भेजीं है दुआ,
हे रब तूनेे बदले में इसके, मेरी खुशी को ही दबा दिया ।
कोई सतरंज का खेल नही, प्यार तो दो दिलों का मेल है,
भरोसा ही इसकी ताकत है, जो होता बहुत अनमोल है,
इतना आसान तो है नही, इश्क में यकीन को तोड़ना,
क्योंकि सम्भव होता नही, फिर टूटे यकीन को जोड़ना,
एक नही दो-दो होते है, लोगों के चहरे यहाँ,
सोच कर चलना मेरे भाई, वरना पड़ सकती है दुनियां छोड़ना।
~(संदीप कुमार)
धन्यवाद।
nyc poem..
ReplyDeleteThank-you sir...
DeleteThank-you sir...
DeleteVery nice sandeep ..
ReplyDeleteVery nice sandeep ..
ReplyDeleteThank-you so much..
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