हर घर में है भगवान
ज्यादा न सही, कुछ वक़्त तो साथ उनके बिताते रहना,
खुशियों में न सही, मुश्किलों में तो साथ उनका निभाते रहना ।
नही झुकाना पड़ेगा इस जहां में कभी सर तुमको,
बस तुम अपना सर माता-पिता के चरणों में झुकाते रहना।
उनकी अनमोल दुआएँ तुमको कभी गिरने नही देंगी,
बस गिरें अगर वो तो उन्हें हांथो से अपने उठाते रहना।
उनकी अनमोल दुआएँ तुमको कभी गिरने नही देंगी,
बस गिरें अगर वो तो उन्हें हांथो से अपने उठाते रहना।
ज्यादा न सही, कुछ वक़्त तो साथ उनके बिताते रहना,
खुशियों में न सही, मुश्किलों में तो साथ उनका निभाते रहना ।
जीवन की हर खुशी आपके कदम चूमेगी,
बस अगर दिखें उनके दुःख तो मरहम उनमें लगाते रहना,
जीवन में कोई भी गम आपको रोने नही देगा ,
बस अगर वो रोयें तो उन्हें कैसे भी हो हँसाते रहना।
बस अगर दिखें उनके दुःख तो मरहम उनमें लगाते रहना,
जीवन में कोई भी गम आपको रोने नही देगा ,
बस अगर वो रोयें तो उन्हें कैसे भी हो हँसाते रहना।
ज्यादा न सही, कुछ वक़्त तो साथ उनके बिताते रहना,
खुशियों में न सही, मुश्किलों में तो साथ उनका निभाते रहना।
खुशियों में न सही, मुश्किलों में तो साथ उनका निभाते रहना।
माता-पिता के चरणों में जन्नत का वो नूर है,
पाने में जिसे मुझको कई दुःख भी मंजूर है,
हम तो इंसान होकर भी बड़े खुशनसीब है,
वो खुदा भी जिनको पाने में इंसान होने को मजबूर है,
पाने में जिसे मुझको कई दुःख भी मंजूर है,
हम तो इंसान होकर भी बड़े खुशनसीब है,
वो खुदा भी जिनको पाने में इंसान होने को मजबूर है,
हो जीवन तुम उनका वो तुम्हारी जान हैं,
बस उनकी आँखों में सितारों सा चमकते रहना।
ज्यादा न सही, कुछ वक़्त तो साथ उनके बिताते रहना,
खुशियों में न सही, मुश्किलों में तो साथ उनका निभाते रहना,
खुशियों में न सही, मुश्किलों में तो साथ उनका निभाते रहना,
इन्सानों के रूप में ये भगवान हैं, इनकी शक्ति से हर कोई अंजान है,
कब समझोगे नादां इस सच्चाई को, बस यही सोचकर दिल ये हैरान है,
होते रहते है जुल्म यहाँ बुढ़े माँ -बाप पर, पूजे जाते है पत्थर जो बेजान है,
हर घर में माँ-पिता रूपी भगवान है, उन्हें भूल यूँ पत्थरों में सर न पटकते रहना।
ज्यादा न सही, कुछ वक़्त तो साथ उनके बिताते रहना,
खुशियों में न सही, मुश्किलों में तो साथ उनका निभाते रहना।
-(संदीप कुमार लोधी)
धन्यवाद ।