Friday 18 September 2015

भारत के वीर सपूत



आती है जब भी याद उन वीर शहिदों की,
 लगने लगता है सबकुछ खिला -खिला,
हो जाता हूँ मैं मदमस्त मगन,जैसे देती है मदिरा पिला -पिला,
नहीं रहता है कोई शिकवा उनसे ,नहीं रहता है कोई गिला- गिला।


गर याद करें हम उनकी कुर्बानी को,जो देती है सबको रुला -रुला ,
न पाया उन्होंने चैन कभी, आराम भी न उनको मिला- मिला।

ये देशभक्ति थी उन वीरों की , इस देश के लाल सपूतों की ,
जो अंदर उनके चिंगारी ने , दुश्मन को दिया था जला- जला ।

ये चिंगारी थी जो भड़की थी , उन अंग्रेजो के अत्याचारों से ,
जो निकली थी ज्वाला बनकर देने उनको पिघला- पिघला ।

एक तूफानी सी चाहत थी बस आजादी को पाने की ,
उस आजादी की ख्वाहिश में हर दीपक था उजला- उजला ।

हाँ थे वो सच्चे देशप्रेमि , था स्वतंत्रता जिनका सपना ,
उन वीरों के बलिदानों पर नतमस्तक होने मैं चला- चला ।

अब देखो जरा इस देश की हालत , क्या होनी थी क्या हो गयी है,
जो था सपना उन वीरों का, हो गया है सब धुंधला- धुंधला ।

यहाँ आज भी लोग अशिक्षित हैं, परेशान हैं वो भृष्टाचारों से ,
मानवता का कोई नाम नही, डरते हैं इंशान - इंशIनों से।

यहाँ आज भी कई भूखे बच्चे  रोते हैं खाना खाने को,
माँ ये कहकर देती बहला, बेटा अभी सूरज नही है  ढला- ढला।

यहाँ आज भी औरत अशुरक्षित है, असहाय भी है  अशिक्षित भी ,
बचती है कई वो नजरों से ,कई वारों से अत्याचारों से।

आज दिन तो है त्योहारों का, पर आँख ये कियों भर आई है ,
शायद लहराते झंडे ने उन वीरों की याद दिलाई है ।

मैं कहता हूँ आजाद हो तुम ,आजाद हो तुम ,आजाद हो तुम ,
इस आजादी के पीछे छिपे हुए, बलिदानों को भूल न जाना तुम ।

उठो हुआ है सुर्योदय, कुछ नाम हो ऐसा काम करो ,
ये जीत मिली है मुश्किल से, अभिमान नही सम्मान करो |


                 जय हिन्द , जय भारत
             भारत माता की जय!

  

                                                                          -(संदीप कुमार लोधी)
धन्यवाद ।  

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