आज इस चहरे पर इतनी खामोशी क्यों है,
आँखों में नमी और ये दिल मायूस क्यों है,
टुट गया है हसीन सपना शायद इस दिल का
या फिर किसी अपने से दूर होने का गम है,
आज इस चेहरे पर इतनी खामोशी क्यों है,
आँखों में नमी और ये दिल मायूस क्यों है।
आँखों में नमी और ये दिल मायूस क्यों है।
हमेशा मुस्कुराने वाला वो चेहरा आज इतना बेजान क्यों है,
कहाँ हो गयी हैं ओझल वो रंगीन अदायें इसकी,
महक जाती हैं फिजायें सारी गुनगुनाने से जिसकी,
कठिनाइयाँ तो हमेसा रहेंगी इस जीवन में,
कभी खत्म न होने वाली परेशानियों से इतना परेशान क्यों है।
आज इस चेहरे पर इतनी खामोशी क्यों है,
आँखो में नमी और ये दिल मायूस क्यों है।
सबकुछ तो है पास मेरे ,सब मेरे अपने तो है साथ मेरे ,
हर रोज एक नया तोहफा देने वाली ये जिंदगी आज इतनी "बेनूर" क्यों है,
जो भी हसरतें हैं इस दिल की, हर मुकाम को हाशिल करने की,
उनमें हौसला और जूनून आज इतना कमजोर क्यों है,
जो भी हसरतें हैं इस दिल की, हर मुकाम को हाशिल करने की,
उनमें हौसला और जूनून आज इतना कमजोर क्यों है,
आज इस चेहरे पर इतनी खामोशी क्यों है,
आँखो में नमी और ये दिल मायूस क्यों है।
आँखो में नमी और ये दिल मायूस क्यों है।
आखिर माजरा क्या है इस दिल का,जो बिल्कुल समझ ही नही आया,
वो छिपा राज क्या है इसमें, जो अब तक खुल ही नही पाया,
दिल तो एक बच्चा है, नादान है थोड़ा कच्चा है,
इसकी बचकानी बातों से इतना बेचैन क्यों है,
वो छिपा राज क्या है इसमें, जो अब तक खुल ही नही पाया,
दिल तो एक बच्चा है, नादान है थोड़ा कच्चा है,
इसकी बचकानी बातों से इतना बेचैन क्यों है,
आज इस चेहरे पर इतनी खामोशी क्यों है,
आँखो में नमी और ये दिल मायूस क्यों है।
आँखो में नमी और ये दिल मायूस क्यों है।
-(संदीप कुमार लोधी)
धन्यवाद।
good stuff sandeep! didn't know you write so well. keep it up :)
ReplyDeleteThank you ...
DeleteThank you ...
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