कुल्हाड़ी में लकड़ी का हत्था न होता
तो उस पेड़ के कटने का रस्ता न होता,
न होते कुर्बान अगर वो वीर जवान
तो आज ये समाज इस तरह हँसता न होता।
"भारत के लिए वरदान हो तुम"
हे जवान! हे किसान !
इस देश के लिए वरदान हो तुम,
जो तेरी-मेरी और हम सबकी है
उस भारत-माता की शान हो तुम,
जो तेरी-मेरी और हम सबकी है
उस भारत-माता की शान हो तुम,
हो रक्षक तुम इस मातृभूमि के
इसका गौरव और सम्मान हो तुम,
जो मिट न सके मिटाने से किसी के
मेरे देश की वो पहिचान हो तुम,
इसका गौरव और सम्मान हो तुम,
जो मिट न सके मिटाने से किसी के
मेरे देश की वो पहिचान हो तुम,
अपने देश की सच्ची देशभक्ति में
खुद को करते कुर्बान हो तुम,
तुम पर निर्भर है जीवन हम सबका
इंसानो के रूप में तो भगवान् हो तुम।
खुद को करते कुर्बान हो तुम,
तुम पर निर्भर है जीवन हम सबका
इंसानो के रूप में तो भगवान् हो तुम।
हे जवान! हे किसान !
इस देश के लिए वरदान हो तुम,
जो तेरी-मेरी और हम सबकी है
उस भारत-माता की शान हो तुम,
इस देश के लिए वरदान हो तुम,
जो तेरी-मेरी और हम सबकी है
उस भारत-माता की शान हो तुम,
हे भारत के वीर जवानों!
वो तुम ही थे जिनके कारण
इस देश को आजादी का जाम मिला,
वर्षों से थीं जो दबी हुईं
उन खुशियों का पैगाम मिला,
इस देश को आजादी का जाम मिला,
वर्षों से थीं जो दबी हुईं
उन खुशियों का पैगाम मिला,
विधान मिला परिधान मिला
और एक नया संविधान मिला,
हर देश की तरह मेरे देश को भी
दुनियाँ में उचित स्थान मिला,
और एक नया संविधान मिला,
हर देश की तरह मेरे देश को भी
दुनियाँ में उचित स्थान मिला,
तुम वीरों के बलिदानों से ही
हर घर में खुशी का दीप जला,
गुलामी का अँधेरा खत्म होकर
एक स्वतंत्र नया सूरज निकला,
हर घर में खुशी का दीप जला,
गुलामी का अँधेरा खत्म होकर
एक स्वतंत्र नया सूरज निकला,
बिना धूप, ठंड की परवाह करके
सरहद पर पहरा देते हो तुम,
मातृभूमि की तरफ चलने वाली
हर उस गोली को सीने में लेते हो तुम,
सरहद पर पहरा देते हो तुम,
मातृभूमि की तरफ चलने वाली
हर उस गोली को सीने में लेते हो तुम,
तिरंगे के कफन में दफन होकर
भारत माँ की गोद में सोते हो तुम,
करता हूँ नमन उन माता-पिता को
जिनकी गौरवशाली संतान हो तुम,
भारत माँ की गोद में सोते हो तुम,
करता हूँ नमन उन माता-पिता को
जिनकी गौरवशाली संतान हो तुम,
हे जवान! हे किसान !
इस देश के लिए वरदान हो तुम,
जो तेरी-मेरी और हम सबकी है
उस भारत माता की शान हो तुम।
इस देश के लिए वरदान हो तुम,
जो तेरी-मेरी और हम सबकी है
उस भारत माता की शान हो तुम।
हे किसान! भाई धन्य हो तुम,
मेरा भारत कृषि प्रधान हुआ..,
तेरे ही कठिन परिश्रम से......
यहाँ गेंहू, दाल और धान हुआ,
तेरे ही कठिन परिश्रम से......
यहाँ गेंहू, दाल और धान हुआ,
लाखों कष्टों को सह-सह कर
अमृत पैदा करते हो तुम.......,
हर प्राणी को भोजन देकर.....
खुद भूखे रहकर मरते हो तूम,
अमृत पैदा करते हो तुम.......,
हर प्राणी को भोजन देकर.....
खुद भूखे रहकर मरते हो तूम,
नही बिल्कुल भी आराम तुम्हें
हर सुविधा से अंजान हो तुम,
देश ऋणी है तुम्हारे कष्टों का
हर इन्सान में बसती जान हो तुम,
हर सुविधा से अंजान हो तुम,
देश ऋणी है तुम्हारे कष्टों का
हर इन्सान में बसती जान हो तुम,
हे जवान! हे किसान !
इस देश के लिए वरदान हो तुम,
जो तेरी-मेरी और हम सबकी है
उस भारत माता की शान हो तुम।
इस देश के लिए वरदान हो तुम,
जो तेरी-मेरी और हम सबकी है
उस भारत माता की शान हो तुम।
"जय हिंद जय भारत"
"भारत माता की जय"
धन्यवाद्।
- संदीप कुमार लोधी
धन्यवाद्।
- संदीप कुमार लोधी
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